Sunday, December 4, 2016

Manish Tewari at Comic Fan Fest December 2016 #Lucknow


Tewari Manish (Graphic Designer) Interview - Comic Fan Fest December 2016

"15000 Comics and counting" - Comic Collector Manoj Pandey


Teacher, Pannapictagraphist Mr. Manoj Pandey interview - Comic Fan Fest December 2016 #Lucknow #CFF 

पेशे से शिक्षक इस कॉमिक कलेक्टर के पास 15 हज़ार से अधिक कॉमिक्स का संग्रह है, Comic Fan Fest दिसम्बर 2016 के इस साक्षात्कार में अपना कलेक्शन लूटने की खुलेआम चुनौती दे रहे हैं श्री मनोज पांडे....

Tuesday, November 29, 2016

13 Days (TBS Planet Comics) Review by Rishit Tiwari


This was the second comic that I read in the first package of TBS Planet's annual subscription pack. And frankly speaking, I was as much impressed after reading this as disheartened I was after reading the Shivaay comic.

Story: Literally, this comic is one of the most decent comic I have ever read by any Indian publisher in the horror genre in terms of story. The story's fresh, interesting and very gripping. The concept's very well thought and written. Some turning points in the story make it really wroth reading and a page turner. The ending's really horrific and unexpected. I just hoped the story would have been longer(it would have been completed in one part only).

Artwork: Story and artwork plays 50-50 role in a comic book. Artwork needs to be specially well in a horror genre comic otherwise 90% of the horror will be gone. The art of this comic is really well. The inking and special effects added to the art enhances it even much more. It takes the horrific events of the story to the next level.

Rating:
Story:4/5
Artwork:4/5
Excitedly waiting for the next part.

Saturday, October 15, 2016

Vigyapan War Cover


Upcoming #fanwork comic Vigyapan War (Fighter Toads and Gamraj), Comics Our Passion【COP】 exclusive #rajcomics 
Illustrator - Anuj Kumar, Writer - Mohit Trendster, Colorist - Nishant Maurya

Saturday, October 1, 2016

Results - Indian Comics Fandom Awards 2016 #ICFA_2016

List of ICF Awards 2016 winners (8 Poll based award categories)

Winners (Gold Positions)
*) - Best Cartoonist: Mrinal Rai
*) – Best Fan Artist: Anuj Kumar
*) - Best Blogger-Reviewer: Youdhveer Singh
*) - Best Fan Work: Doga Song (Warwan Band)
*) - Best Fanfiction Writer: Adesh Sharma
*) - Best Comic Collector: Sagar Jung Rana
*) - Best Webcomic: The Beast Legion (Jazyl Homavazir)
*) - Best Colorist (2) - Naval Thanawala, Nishant Maurya


Silver Positions (Runner-ups)
*) - Best Cartoonist: Jazyl Homavazir
*) – Best Fan Artist: Amitabh Singh
*) - Best Blogger-Reviewer: Jagmeet Sidhu
*) - Best Fan Work: Shaktimaan is Back Video (DK Films, 60 Hertz Studios)
*) - Best Fanfiction Writer: Bramha Patel
*) - Best Comic Collector: Manoj Pandey
*) - Best Webcomic: Kavya Comics (Mohit Trendster)
*) - Best Colorist - Harendra Saini


Bronze Positions (Rank #03)
*) - Best Cartoonist: Neerad
*) – Best Fan Artist: Anand Singh
*) - Best Blogger-Reviewer: Ashwani Dwivedi
*) - Best Fan Work (2): Comics Memories Podcast Series ( Mohit Trendster), Roar of Indian Superheores Series (PK Brothers)
*) - Best Fanfiction Writer: Navneet Singh
*) - Best Comic Collector: Heera Lal Bhardwaj
*) - Best Webcomic: The Last Ancients (Akshay Katnaur)
*) - Best Colorist: Manabendra Majumder


Indian Comics Fandom Awards 2016 Album 


Friday, September 30, 2016

Mrinal Rai, Jazyl Homavazir & Akshay thank fans after ICFA 2016


Indian Comics Fandom Awards 2016 #update - Mrinal Rai (Best Cartoonist), Jazyl Homavazir (Best Webcomic: The Beast Legion, Silver: Best Cartoonist) and Akshay Katnaur (Best Webcomic Bronze: The Last Ancients) thank their fans-friends for support (nominations and voting).


Friday, September 23, 2016

ICF Awards 2016 - Categories and Nominees #ICFA_2016

Cast your vote! We are excited to announce the Third Indian Comics Fandom Awards Categories & Nominees. This year we have 9 categories and dozens of talented nominees. Ninth category, ICF Hall of Fame is non-poll category. Deadline - Wednesday, 11 PM - 28 September 2016!


1) – Best Fan Artist
https://goo.gl/9hujsS

2) – Best Reviewer-Blogger 
https://goo.gl/kaxNWQ 

3) – Best Cartoonist 
https://goo.gl/P4Rw0A 

4) – Best Colorist 
https://goo.gl/VrduLP 

5) – Best Comics Collector
https://goo.gl/lJS6Q1 

6) – Best Fanfiction Writer 
https://goo.gl/rRzfgZ

7) - Best Fan Work (Comic, Video, Music etc)
https://goo.gl/LRU4Ye

8) - Best Webcomic
 https://goo.gl/QgjjSt 

P.S. Winners of Second ICF Awards are ineligible for nomination in 2016. However, their nomination(s) in other categories is allowed.

Freelance Talents Mohitness {मोहितपन} Comics Reel Culture POPcornICUFC comics Comics Our Passion【COP】

#comics #awards #india #indiancomics #art #fanfic #blogging #review#indiancomicsfandom #freelance_talents #freelancetalents #ICFA2016

Saturday, August 13, 2016

#Update Indian Comics Fandom Awards 2016 #ICFA_2016

Nominations are now being accepted for the Indian Comics Fandom Awards 2016 in order to recognize the efforts, achievements of Indian Comic fans and creatives.

*) – Best Blogger 
*) – Best Cartoonist 
*) – Best Colorist 

*) – Best Reviewer 

*) – Best Comics Collector
*) – Best Fanfiction Writer 
*) – Best Fan Artist
*) - Best Fan Work (Comic, Video, Music etc)
*) - Best Webcomic
*) - Best Cosplayer

Monday, August 8, 2016

भारतीय कॉमिक्स फैन के प्रकार (भाग #1)

किसी व्यक्ति, उत्पाद या उद्योग के प्रशंसक कई प्रकार के होते हैं और अनेको लोगो की रोज़ी-रोटी फैन्स पर निर्भर होती है। हर जगह की तरह फैन के पॉजिटिव/नेगेटिव पहलु होते हैं। आज हम भारतीय कॉमिक्स के तरह-तरह के प्रशंसकों के बारे में बात करेंगे। संभव है कि फैन्स खुद को एक से अधिक श्रेणी में पाएं, तो शुरू करते हैं।

बरसाती फैन: ऐसे फैन हाल की किसी घटना, फिल्म, टीवी सीरीज से प्रेरित होकर कॉमिक्स कम्युनिटी में जोश के साथ आते हैं। बड़े उत्साह के साथ "तिरंगा कैप्टन अमेरिका की कॉपी है", "डायमंड कॉमिक्स में डीसी वाली बात नहीं", जैसे स्टेटमेंट देते हैं। फिर अचरच में पड़ते हैं कि रेस्पॉन्स क्यों नहीं मिल रहा। यहाँ जमे Indian Comics के पुराने फैन्स इस अचरच में होते हैं कि 2 दशक पहले याहू चैट, रैडिफ मेल से चले आ रहे सवाल कुकुरमुत्ता प्रशंषको को नए कैसे लग सकते हैं? खैर अक्सर कम्युनिटी, ग्रुप्स के अन्य सदस्यों से बॉन्डिंग न होने के कारण ऐसे मित्र 1 हफ्ते से लेकर 6 महीनो के अंदर हमेशा के लिए संन्यास ले लेते हैं। इस बीच इनके सोशल मीडिया पर कुछ कॉमिक्स प्रेमी मित्रों का जुड़ना इनके लिए बोनस है।

आई, मी और मैं फैन: ओहो भाई साहब! ये लोग किसी के फैन हों ना हों अपने सबसे बड़े फैन होते है। इनके शरीर में आत्ममुग्धता का हॉर्मोन अलग से सीक्रीट होता है। कम्युनिटी, ग्रुप या असल जीवन में ये लोग बस अपने बारे में बातें और अपना प्रमोशन करने में लगे रहते हैं। देखो मेरा गोपीनाथ मुंडे, भैंस के लुंडे हार्डकवर कलेक्शन, देखो मैं उल्टा आइस क्रीम कोन खा रहा, देखो मेरा दादी माँ के नुस्खे वाला पेज (जिसका कॉमिक से कोई सरोकार नहीं पर ढाई सौ रुपये देकर हज़ार लाइक करवा लिए हैं तुम्हे जलाने को), देखो मुझे बैंगनी कुतिया ने काट लिया, हम किन्नौर के शहज़ादे अभी फॉलो करो। कॉमिक्स से जुडी कोई अपडेट इनसे ना के बराबर गलती से निकलती है या तब निकलती है जब इन्हें अपना कुछ प्रमोट करना हो।

वेटरन फैन: ये फैन बरसाती फैन्स के विलोम होते हैं। व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर फलाना हर जगह अगर कॉमिक से जुड़ा कोई समुदाय बनता है तो इन्हें बाय डिफ़ॉल्ट उसमे शामिल कर लिया जाता है। हालांकि, वर्षों से सक्रीय रहने की वजह से इनमें पहले की तरह भयंकर जज़्बा तो नहीं रहता पर फिर भी इनकी एक्टिविटी दिख जाती है। कुछ प्रशंसक कॉमिक्स कम्युनिटी को बढ़ाने और अन्य जुडी बातों में इतना योगदान दे डालते हैं कि एक समय बाद इन्हें किसी क्रिएटिव जैसी इज्जत मिलने लगती है। ये जब किसी कॉमिक इवेंट में जाते है तो कई लोग इन्हें आसानी से पहचान लेते हैं। समय के साथ कई वेटरन सन्यासी हो जाते हैं पर फिर भी इनके काम की वॉल्यूम इतनी होती है कि इनका नाम गाहे-बगाहे आता ही रहता है।

नकली वेटरन फैन: वैसे इनके खाते में बड़ा योगदान या कोई नोटेबल काम नहीं होता फिर भी इनका बहुत नाम होता है। आम जनता इन्हें वेटरन सा ही सम्मान देती है। ये फैन्स कभी बरसाती हुआ करते थे जिन्होंने संन्यास तो नहीं लिया पर अब 4 महीनो में एक बार कॉमिक्स पर डेढ़ पैराग्राफ वाला कमेंट या अपडेट मार कर समझ लेते हैं कि इनका धर्म निभ गया। इस Recurring डेढ़ पैराग्राफ और कभी-कभार के लाइक से धीरे-धीरे कम्युनिटी को इनका नाम याद हो जाता है और ये बड़े कॉन्फिडेंस से वेटरन श्रेणी की सीट झपट लेते हैं। कुछ ग्रुप के तो ये गुडविल एम्बेसडर तक बन जाते हैं फ्री-फण्ड में।

येड़ा बनके पेड़ा खाने वाले फैन: कुछ लोग मृदुभाषी, "भोले-भाले मगर गज़ब के चालाक फाइटर दोस्त" होते हैं। उदाहरण के तौर पर बड़ी कम्युनिटी के कई सदस्यों से छोटे-छोटे फेवर लेते हुए अपना बड़ा करना...कलेक्शन! ताकि किसी पर बोझ भी ना पड़े और हमारा छप्पर भी फट जाए। इतना ही नहीं अपनी बातों से कलाकारों, प्रकाशकों पर डालडा की इतनी परत चुपड़ देते हैं कि समय-समय पर इन्हें कुछ ख़ास गिफ्ट्स, प्राइज आदि स्पेशल ट्रीटमेंट मिलते रहते हैं। समय बीतने के साथ ये लोग अपने किरदार में टाइपकास्ट और कॉमिक कम्युनिटी में बदनाम हो जाते हैं इसलिए नए शिकार पकड़ते हैं।

कॉमिक प्रशंसकों की कुछ और श्रेणीयां अगले भाग में....

- मोहित शर्मा ज़हन

Friday, June 10, 2016

Hyper Tygers Series (Graphic India)

Hyper Tygers (Comics and Animation) Series is set in a futuristic India in the year 2077, charting the meteoric rise of a small Indian rural community and their cricket team, including their mysterious hero the Green Tyger. We follow the Hyper Tygers astronomic journey to become the greatest Hyper Cricket team in the world.
It’s a rags to riches story, addressing many of the environmental and social growing pains that India and the world are undergoing as rural meets mega city, tradition clashes with future technology, class lines blur and corporations put profit over people and the environment.
The enigmatic hero of the story is a masked and rebellious cricketer known only as the Green Tyger, with amazing super powers tied to nature and the earth. Playing in the Hyper Cricket League, fighting against injustice, and saving the environment from Mr. X and the monstrous terrors created from his dreaded Shadow Corporation, experience the rise of India’s new heroes and the birth of a legendary team.

Thursday, June 9, 2016

Community Updates #covers


*) - Super Soldier Squad (Meta Desi Comics)


*) - Inspector Steel by Sourabh Upalekar



*) - Grant Morrison’s 18 Days (Graphic India)


*) - Kavya Comics Series (Freelance Talents)

Saturday, April 30, 2016

Comic Fan Fest 5 (April 2016)


Comic Fan Fest # 5 (24 April 2016) - Delhi, Lucknow and Hyderabad
Delhi Chief Guest - Writer Mr. Bimal Chatterjee

"Bimal ji sharing his experience at Comic Fan Fest 5. In background cover of a comic written by Mr. Bimal Chatterjee which broke all records that time.
Khooni Danav is also the first digest of Indian Comic Industry."

24 अप्रैल 2016 को कॉमिक फैन फेस्ट इवेंट का पांचवा संस्करण कई यादगार पलों के साथ संपन्न हुआ। इस बार फेस्ट दिल्ली के साथ-साथ लखनऊ और हैदराबाद में भी मनाया गया। दिल्ली में मुख्य अथिति के रूप में प्रख्यात लेखक-कलाकार श्री बिमल चटर्जी ने आयोजन की शोभा बढ़ायी। आने वाले सदस्यों को कुछ उपहार भी वितरित किये गए। हैदराबाद आयोजन जयंत कुमार ने सम्भाला तो लखनऊ की ज़िम्मा मेरे हिस्से आया। हर बार की तरह इस आयोजन के ज़रिये कुछ नए कॉमिक प्रेमी मित्रों से मिलना हुआ। - मोहित शर्मा ज़हन

Saturday, April 16, 2016

Interview with Akshay Dhar (Meta Desi Comics) - हिंदी साक्षात्कार

काफी समय से कॉमिक्स जगत में सक्रीय लेखक-कलाकार-प्रकाशक अक्षय धर का मार्च 2016 में साक्षात्कार लिया। जानकार अच्छा लगा कि भारत में कई कलाकार, लेखक इतने कम प्रोत्साहन के बाद भी लगातार बढ़िया काम कर रहें हैं। पेश है अक्षय के इंटरव्यू के मुख्य अंश। - मोहित शर्मा ज़हन

Q - अपने बारे में कुछ बताएं? 
अक्षय - मेरा नाम अक्षय धर है और मैं एक लेखक हूँ। लेखन मुझे किसी भी और चीज़ से ज़्यादा पसंद है। मैं मेटा देसी कॉमिक्स प्रकाशन का संस्थापक हूँ। अपने प्रकाशन के लिए कुछ कॉमिक्स का लेखन और संपादन का काम भी करता हूँ। अपने काम में कितना सफल हूँ, यह आप लोग बेहतर बता सकते हैं। 

Q - पहले और अब आर्टिस्ट व लेखकों में क्या अंतर महसूस किया आपने?
अक्षय - कॉमिक्स के मामले में ज़्यादा अंतर नहीं लगता मुझे, क्योकि विदेशो की तुलना में भारत में कभी भी उतना विस्तृत और प्रतिस्पर्धात्मक कॉमिक्स कल्चर नहीं रहा। हाँ पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कलाकारों, लेखकों का काम देखने को मिल रहा है। फिर भी पहले लेखकों की फोल्लोविंग अधिक थी, यह स्थिति धीरे-धीरे चित्रकारों, कलाकारों के पक्ष में झुक रही है। भारत के साथ-साथ अन्य देशो के कॉमिक इवेंट्स में लेखकों की तुलना में कलाकारों अधिक आकर्षण का केंद्र रहते हैं। अब कॉमिक्स की कहानियों और कला में बेहतर संतुलन देखने को मिल रहा है।

Q - आपके पसंदीदा कलाकार, लेखक और क्यों?
अक्षय - मेरे पसंदीदा लेखक और कलाकार पाश्चात्य प्रकाशनों से हैं क्योकि वहां जैसे प्रयोग, अनुशासन और अनुभव भारत में कम देखने को मिलते हैं। लेखकों में मैं Mark Waid, Greg Rucka, Jim Zum, Jeff Parker, Grant Morrison, Garth Ennis, Gail Simone and Warren Ellis का काम बड़े चाव से पढता हूँ। कलाकारों में Geof Darrow and J.H.Williams. हालांकि, Adam Hughes, Stjepan Sejic and Darick Robertson जैसे आर्टिस्ट्स का काम मुझे अच्छा लगता है। 

Q - अपने देश में कॉमिक्स का क्या भविष्य देखते हैं?
अक्षय - भारत में बहुत सम्भावनाएं है। कला, कहानियों-किवदंतियों-किस्सों के रूप में हमारे पास अथाह धरोहर है। हमारे इतिहास में इन कलाओं के कई उदाहरण है। इतनी संभावनाओं के होने के बाद भी आम देशवासी का नजरिया कॉमिक्स के प्रति बड़ा नकारात्मक और निराश करने वाला है। अगर लोग कॉमिक्स को बच्चों की तरह बड़ो के लिए भी माने और उनको साहित्य में जगह दें। कॉमिक्स को नकारने के बजाये एक कहानी, शिक्षा को बताने का साहित्यिक तरीका मानें, तो भारतीय कॉमिक्स बहुत जल्द बड़े स्तर पर आ जाएंगी।  

Q - इंडिपेंडेंट कॉमिक्स प्रकाशित करना इतना मुश्किल काम क्यों है?
अक्षय - भारत में इंडिपेंडेंट कॉमिक्स बनाना और प्रकाशित करना बहुत मुश्किल हैं, क्योकि - 
1. "बचकानी चीज़" कॉमिक्स की जो छवि बनी है देश के लोगो के दिमाग में वो सबसे बड़ी बाधा है। लोगो को थोड़ा लचीला होना चाहिए। 
2. दुर्भाग्यवश, पहले से ही कम कॉमिक पाठकों में अधिकतर भारतीय कॉमिक फैंस कुछ किरदारों या 2-3 प्रकाशनों के अलावा किसी नयी कॉमिक को पढ़ना पसंद नहीं करते। बैटमैन, नागराज, चाचा चौधरी पढ़िए पर नए प्रकाशनों को भी ज़रूर मौका दीजिये। 

Q - अब तक का अपना सबसे चुनौतीपूर्ण और सर्वश्रेष्ठ काम किसे मानते हैं और क्यों? 

अक्षय - ग्राउंड जीरो ऍंथोलॉजी के अंतिम 2 कॉमिक्स के बारे में सोचकर गर्व महसूस करता हूँ। यह काम दर्जन भर से अधिक उन लोगो की ऐसी टीम के साथ किया जिन्हे कॉमिक्स के बारे में कोई अनुभव नहीं था। मुझे प्रकाशन का अनुभव नहीं था फिर भी जिस स्तर की ये कॉमिक्स बनी है देख कर अच्छा लगता है। साथ ही पाठको को हर कॉमिक्स के साथ हमारे लेखन, कला में सुधार लगेगा। 

 रैट्रोग्रेड के लिए मन में एक सॉफ्टस्पॉट हमेशा रहेगा। दिल्ली में आयोजित, भारत के पहले कॉमिक कॉन में पॉप कल्चर द्वारा प्रकाशित मेरी यह कॉमिक पाठकों द्वारा काफी सराही गयी थी। यह एक बड़ी कहानी है, जिसे मैं आगे जारी करना चाहता हूँ, जिसपर विचार चल रहा है। अभी तक इवेंट्स में लोग हमारे स्टाल पर रूककर इस कॉमिक, कहानी के बारे में पूछते हैं। 

Q - मेटा देसी कॉमिक्स के अब तक के सफर के बारे मे  बताएं।
अक्षय - मेटा देसी कॉमिक्स की शुरुआत मैंने उन प्रतिभाओं को मौका देने के लिए की थी, जिनसे मैं अपने देश भर में कॉमिक इवेंट्स के दौरान मिला था। अपनी तरफ से कुछ कलाकारों, लेखकों की मदद के लिए यह कदम उठाया था। धीरे-धीरे इसका इतना विस्तार हुआ कि अब मेटा देसी की अच्छी-खासी फॉलोइंग है। ग्राउंड जीरो सीरीज में 3 कॉमिक्स आने के बाद अब हमनें पाठको की मांग पर अभिजीत किनी द्वारा बनाए गए होली हेल को अलग कॉमिक दी है। जातक माँगा के रूप में हमारी वेबसाइट पर वेबकॉमिक चल रही है। जिसमे हम बिना शब्दों का प्रयोग कर माँगा स्टाइल में जातक कथाएं बना रहें हैं। हाल ही में चेरियट कॉमिक्स के साथ मिलकर एक नयी लाइन आईसीबीएम कॉमिक्स की शुरुआत की है, जिसमे पाठको को अलग अंदाज़ में कुछ कॉमिक्स मिलेंगी। ऐसा करने से प्रकाशन में हमारा खर्च भी साझा हुआ है।

Q - कॉमिक कॉन जैसे इवेंट्स में क्या सुधार होने चाहिए?
अक्षय - कॉमिक कॉन में दोनों तरह की बातें है। एक तरफ इतने बड़े इवेंट के रूप में कई इंडिपेंडेंट पब्लिशर, रचनाकारों को एक प्लेटफार्म मिलता है, वहीं दूसरी और उनपर मर्केंडाइज, गिफ्ट आदि कंपनियों को अधिक स्टाल देकर कॉमिक इवेंट को डाइल्यूट करने की बात कही जाती है। मेरे मत में अगर प्रकाशनों से उन्हें पर्याप्त सेल नहीं मिल रही तो अपना व्यापार बनाए रखने के लिए और आगे के इवेंट्स करने के लिए उन्हें अन्य कंपनियों की ज़रुरत पड़ती है।

यह कम करने के लिए हमे इवेंट्स पर और कॉमिक्स फैंस की ज़रुरत है। जो हमारी कॉमिक्स खरीदें और हमे बताये कि हम क्या सही कर रहें है, कहाँ हम गलत हैं, किस किरदार या रचनाकार में क्या सम्भावनाएं है।

Q - भविष्य में कॉमिक्स से जुडी योजनाओं के बारे में जानकारी साझा कीजिये। 
अक्षय - अभी कुछ प्रोजेक्ट्स शुरुआती चरण में है जिनके बारे में बताना संभव नहीं। वैसे इस साल चेरियट कॉमिक्स के साथ मिलकर 3 कॉमिक्स प्रकाशित करने की योजना है। जिनमे से एक होली हल का तीसरा अंक होगा। 

Q - कई पाठक कम प्रचलित या नए प्रकाशन की कॉमिक्स, नोवेल्स और किताबे खरीदने से डरते है। उनके लिए आपका क्या संदेश है?
अक्षय - मेरा यही संदेश है कि हम लालची नहीं है, कला-कॉमिक्स और अंतहीन काल्पनिक जगत के प्रति अपने जनून के लिए कर रहें है। जैसा लोग कहते हैं सिर्फ जनून से पेट नहीं भरते इसलिए हमे आपके सहयोग और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। यह बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि जिस चीज़ से आप अंजान हों वह अच्छी नहीं होगी। नयी प्रतिभाओं को मौका दीजिये, कुछ नया मनोरंजन आज़मा कर देखिये.....हो सकता है आपके सहयोग से कई कलाकारों का जीवन सफल हो जाए। बहुत-बहुत धन्यवाद! 
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Tuesday, March 8, 2016

Flintlock Book 1

A regular comics anthology series with a difference - each issue will feature stories featuring a unique range of characters in an Eighteenth Century setting, co-existing in a shared historical timeline.
The Eighteenth Century (1701 to 1800) encompassed some of the most tumultuous changes in world history involving some of the of the richest personalities - and these will be the inspiration for the stories and characters that feature in Flintlock. The book will introduce us to ruthless highwaymen, fearsome pirates, noble samurai and mysterious law-enforcers - and each story will feature amazing artwork by some great comics talent.
This campaign is for the first 44 page book in the series that introduces some key characters to the Flintlock universe! (Target achieved)
The first is the title character Lady Flintlock, a very wicked lady with a supporting cast that each have their own secrets.  The art on Flintlock is by South Carolina artist Anthony Summey. He's drawn a fantastic 24 page story that not only introduces us to the Flintlock anthology's flagship character, but also sets things up nicely for more action and intrigue to come in future books (which are being planned for release twice a year).
In our second story we meet Shanti, the pirate queen of the Indian Ocean, with artwork by Italian artist Lorenzo Nicoletta.  Ruthless and beautiful, Shanti puts a new spin on the traditional pirate tropes - so anyone expecting a female Captain Jack may be in for a bit of a shock!

Tuesday, January 26, 2016

Green Humour Webcomic


The Hornbill Map of the Indian Subcontinent ‪#‎hornbill‬ ‪#‎india‬ ‪#‎webcomic‬ ‪#‎birds‬ ‪#‎greenhumour‬

Mascot for the All India Forest Sports Meet (Green Humour Webcomic)

Saturday, January 2, 2016

*Featured* - मेरा कामिक संग्रह (Sanjay Singh)

7 साल हो गए है हिंदी कामिक्सो से संबंधित विभिन्न आनलाईन ग्रुप्स, फारम, कम्यूनिटिस, इत्यादि मे एक सक्रिय कामिक फैन के तौर पर विचार-विमर्श, परिचर्चा, इत्यादि करते हुए। हिंदी कामिक्सों से जुडे हुए कई सारे पहलओ पर अपने विचारो का रखा है। फिर चाहे वो राज कामिक्स की कार्यशैली की समीक्षा हो या आजकल चल रही कामिक्सों की कालाबाजारी की निंदा। अगस्त 2008 मे जब मैंने राज कामिक फारम को ज्वाईन किया था तब मेरा मकसद था कामिक्सों से जुडी हुई अपनी यादों को ताजा करना। लेकिन उसी साल अक्टूबर मे कुछ ऐसा हुआ कि कामिक्सों से जुडी हुई यादों को ताजा करने का एक और तरीका मिल गया। ये था पहला “नागराज जन्मोत्स”। और वो तरीका था कामिक्से संग्रह करने का।
2008 नागराज जन्मोत्सव मेरे लिए कई मायनों से यादगार और खास रहा। एक खास वजह तो ये ही थी कि मैं पहली बार अपने प्रिय चित्रकारों और लेखकों से मिल रहा था। लेकिन एक दूसरी वजह भी थी जिसने मेरे कामिक के जुनून को उस दिन कई गुणा बढा दिया। मैं पहली बार ऐसे कामिक फैन्स से मिला जिनमे मेरी ही तरह कामिक के लिए बेइतंहा दीवानापन था। यहां मैं रवि यादव का नाम लेना चाहूँगा जो उस भाग्यवादी दिन मुझे वहां मिला था। कामिक्सों के प्रति लोगो का प्यार देखकर मुझ मे और मेरे दोस्त आकाश मे एक नए जोश का संचार हुआ और इस कार्यक्रम से प्रेरित और उत्साहित हो कर हम दोनो ने अपने कामिक संग्रह को बढाने का निश्चय किया।
इससे पहले मेरे पास मुश्किल से 50 या उससे भी कम कामिक्से थी और वो भी सिर्फ ध्रुव की कामिक्से। इस वक्त मे एक बहुत कम वेतन वाली नौकरी कर रहा था। (जिसे मैंने नवम्बर 2008 मे छोड भी दिया था और उसके बाद 2 साल तक बेरोजगार रहा) और कामिक्से भी गिनी-चुनी लेता था। ध्रुव, नागराज की आंतकहर्ता और नागायाण सीरिज। हालांकि उस वक्त और भी अच्छी सीरिजे आ रही थी दूसरे हीरोज की लेकिन पैसे की कमी के चलते उन्हे प्राथमिकता देने मेरे बस की बात नही थी। तो अब ये तो सोच लिया था कि कामिक्से खरीदनी है लेकिन नई कामिक्सें खरीदना अभी हैसियत से बाहर था। तो ये निश्चय किया कि फिलहाल उन कामिक्सों को खरीदा जाए जिनको बचपन मे पढा था और जिनकी वजह से आज हम कामिक्सों पर इतनी चर्चा करने लायक बने। पुरानी कामिक/किताबों के बारे मे सोचते ही ध्यान आया दरियागंज की संडे बुक मार्केट का। मैं साल 2007 मे एक बार इस बुक मार्केट मे आया था और तब देखा था कि कामिक्से भी मिल रही थी। उस वक्त इनकी कीमत भी बहुत साधारण हुआ करती थी। अकसर आधे दाम पर मिल जाती थी। बिना किसी मोल-भाव के। तो मैंने और आकाश ने ये फैसला किया कि हम हर रविवार को मार्केट जाएंगे कामिक खरीदने। और इसका श्री गणेश भी साल 2008 के अंत से पहले हो भी गया।
शुरु मैं हमारी प्राथमिकता सिर्फ राज कामिक ही थी। क्योंकि उस वक्त कामिक खरीदने की मुख्य वजह उन्हे सिर्फ पढना ही था। यहां मैं एक बात बताना चाहूँगा कि मेरा कामिक संग्रहकर्ता बनने का कोई इरादा नही था। मुझे तो उस वक्त ये मालूम भी नही था कि लोग कामिक्सों का भी संग्रह करते है। मुझे 1-2 साल बाद इस बात का पता चला।
शुरुआत मे कामिक्सों की खरीदारी काफी धीमी रही। उसके एक वजह तो पैसे की कमी थी। मैं अपनी नौकरी छोड चुका था। और आगे भी दो साल तक बेरोजगार रहा। दूसरी वजह ये थी कि उस वक्त हम कामिक्से लेने मे बहुत ही नुख्ता-चीनी करते थे। मतलब कि सिर्फ वही कामिक्से ले रहे थे जिन्हे हम पसंद करते थे। यानि कि सिर्फ अपने प्रिय किरदारों की ही कामिक्से ले रहे थे जिनमे राज कामिक्स मे नागराज, ध्रुव आदि की कामिक्से ही मुख्य तौर पर शामिल थी। उस वक्त मनोज, तुलसी, राधा इत्यादि प्रकाशकों की कामिक्से भी मिलती थी लेकिन हमने उस वक्त उन पर कभी ज्यादा ध्यान नही दिया। कभी मन किया या कोई कामिक अच्छी लगी तभी उसे खरीदा वर्ना उन्हे छोड ही दिया। ये सब साल 2008-2009 के बीच हुआ। उस वक्त कामिक्से हम कम ढूंढ पाते थे लेकिन बाकी चीजो की खरीदारी पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे थे।
दरियागंज मे जब ज्यादा सफलता नही मिली तो मैंने अपने घर के आसपास कामिक्सों को तलाशना शुरु किया। किसी जमाने मे नांगलोई मे कामिक्सों की काफी दुकानें हुआ करती थी। और लगभग हर एक बुक डिपो वाले ने कभी ना कभी तो कामिक्से रखी ही थी अपने पास। लेकिन वक्त और तकनीक के साथ कामिक्से अपनी लय बरकरार नही रख पाई और धीरे-धीरे वहाँ कामिक्से दिखनी बंद हो गई। फिर भी मुझे कुछ दुकानों पर उनके मिलने की उम्मीद अभी भी थी। यही सोचकर एक दुकान पर पहुंचा। और वहां तो जैसे मुझे खजाना ही मिल गया। ज्यादातर राज कामिक थी और उन मे से मुझे मेरे प्रिय सुपर हीरो सुपर कमांडो ध्रुव की भी कुछ ऐसी कामिक्से मिल गई जो मैं ढूंढ रहा था। शाम को फोन करके मैंने आकाश को सारी बात बताई और अगले दिन वो भी मेरे घर आ गया कामिक्से लेने। उसने भी काफी सारी कामिक्से उस दुकान से ली। फिर मैंने कुछ और दुकानों पर भी भाग्य को आजमाया और सफलता भी मिली लेकिन बहुत थोडी सी। अब फिर से दरियागंज की तरफ रूख करना पडा। लेकिन अब वहां हमे अपने मतलब की कामिक्से बहुत कम ही मिल पा रही थी। इसलिए अब कामिक्सों को लेकर कुछ ज्यादा उत्साह नही रह गया था दरियागंज मे। ज्यादातर तफरी ही हो रही थी। सुबह पहुंच जाते वहाँ, और हर तरह की दुकान देखकर दोपहर तक वापिस भी आ जाते। और ऐसा साल 2010 के मध्य तक जारी रहा। लेकिन मैंने और आकाश ने दरियागंज जाना बंद नही किया। चाहे गर्मी हो, बारिश हो या सर्दी हो। या फिर 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे बडे अवसरों पर सुरक्षा के तहत बाजार ही क्यों ना बंद हो। हम जाते जरूर थे। बीच मे हमारा दोस्त रवि भी 1-2 बार हमारा साथ देने आया।
अब साल 2010 शुरु हो गया था और हम अपने नए घर मे चले गए थे। अब दरियागंज और भी दूर हो गया था। अब बाजार मे पहुंचने के लिए साईकल, रेल और पैदल यात्रा तीनों माध्यमों का इस्तेमाल हो रहा था। ये समय मेरे लिए काफी मुश्किल भरा था। क्योंकि इतनी मेहनत करने के बाद भी बाजार पहुंचने पर मुझे कुछ नही मिलता था। ऊपर से अब बेरोजगार हुए डेढ साल से ज्यादा हो गए थे और सेविंग भी खत्म होने लगी थी। इन्ही सब के बीच मे 2010 के शुरु के चार 4-5 महीने निकल गए। पैसे खत्म हो रहे थे, जोश दम तोड रहा था, और उम्मीद ना-उम्मीद मे तबदील हो रही थी।
मई का महीना चल रहा था और ऐसे ही खाली निकला जा रहा था। एक रविवार को मैंने आकाश से कहा कि यदि आज भी कोई कामिक बाजार मे नही मिली तो मैं अगले 3-4 रविवार बाजार नही आऊंगा। उसने भी मेरी बात का समर्थन किया। लेकिन जैसे उस दिन भगवान हमे पिछले डेढ साल की कडी मेहनत का फल देने वाला था। बाजार मे थोडा घूमने पर हमे एक जगह बहुत सारी कामिक्से नजर आई। वो भी मिंट कंडिशन मे। राज कामिक्स की बहुत सारी पुरानी कामिक्से जिसमे ध्रुव, नागराज, डोगा, जनरल, आदि सभी तरह की कामिक्से शामिल थी। हमारी तो खुशी का ठिकाना ही नही रहा। कीमत भी बहुत ही साधारण। मात्र 5-10 रु। उस दिन मेरे पास जितने पैसे थे वो सारे कामिक खरीदने मे ही खर्च हो गए। लेकिन हमे ये मालूम नही था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है और अगले 1-2 महीने तक हमे इतनी कामिक्से मिलने वाली है कि हमे पैसो की भारी कमी का सामना करना पडेगा। अगले हफ्ते जब हम फिर बाजार पहुंचे तो फिर से वही दुकानदार ढेर सारी कामिक्से लाया था। इस बार उनमे राज के अलावा मनोज, राधा, तुलसी, गोयल इत्यादि दूसरे प्रकाशकों की कामिक्से भी सब एकदम नयी कंडिशन मे। और सोने पर सुहागा ये कि उन कामिक्सों मे से कुछ के अंदर स्टीकर्स भी थे। मेरे पास जितने भी तुलसी कामिक्से के स्टीकर्स है वो सारे यही से ली गई कामिक्सों से है। अब तो जैसे एक नया जुनून सा सवार हो गया बाजार मे आने का। आने वाले 3-4 हफ्ते तक वो बंदा ढेरों कामिक्से लाता रहा और हम भी अपने बजट और जरूरत के हिसाब से कामिक्से खरीदते रहे। इसी बीच मैंने अपने दोस्त विशाल उर्फ बंटी को भी इस बारे मे बता दिया और वो और हमारा एक और दोस्त राहुल भी 1-2 बार कामिक्से लेने के लिए बाजार आए। बंटी को मैं अपने साथ कुछ और दुकानों पर भी लेकर गया और वहां से भी हमने बहुत सारी कामिक्से खरीदी। इसके साथ ही मेरी और आकाश की मुलाकात कुछ और भी कामिक्स प्रेमियों से हुई। आशीष त्यागी, प्रदीप शेहरावत और शाहिद अंसारी। (उस वक्त शाहिद अंसारी हमारे लिए फैन ही थे) इन लोगो के साथ मिलकर भी खूब सारी कामिक्से खरीदी। शाहिद अंसारी हमे एक दुकान पर भी लेकर गए जिसके पास बहुत सारी कामिक्से थी। वहां से मैंने अपने एक फारम के दोस्त अजय ढिल्ल्न के लिए भी बहुत सारी कामिक्से खरीदी। सब 5-10 रुपये मे। इसी बीच मेरे एक्जाम शुरु हो गए। एक्जाम के दिनों मे ही रवि, आकाश और बंटी उस दुकानदार के घर पर भी गए जो रविवार को बाजार मे कामिक्से लाता था और उसके घर से भी उन्होंने काफी कामिक्से खरीदी। बाद मैं फारम का एक और दोस्त (सुप्रतीम) जब अपनी छुट्टी मे दिल्ली आया तो मैंने और आकाश ने उसको बहुत सारी कामिक्से दिलवाई। कुछ तो रविवार बाजार से ही और काफी सारी उस दुकान से जिस पर शाहिद हमे लेकर गया था। इसके अलावा मैंने एक दुकान और ढूंढ ली थी जिस पर हमे काफी कामिक्से मिली। यहां से कामिक्से खरीदने वालो मे मेरे, आकाश और प्रदीप जी के अलावा शाहिद अंसारी भी थे। इस तरह मई से लेकर जुलाई-अगस्त तक कामिक्सों की काफी खरीदारी हुई। लेकिन अब समस्या ये आ गई कि मेरे पास सेविंग लगभग खत्म हो चुकी थी। नागराज जन्मोत्सव 2010 के बाद स्थिति ये आ गई थी कि अब नौकरी करना जरुरी हो गया था। अब दो साल होने वाले थे बिना किसी रोजगार के। नवम्बर 2010 मे एक नौकरी मिल गई और पैसों की चिंता कुछ हद तक खत्म हुई।
साल 2011 की शुरुआत पिछले साल से भी बेहतर रही। इस साल मार्च मे एक दुकानदार के काफी सारी कामिक्से आई थी। लेकिन उनमे से ज्यादातर शाहिद अंसारी ने ही ले ली थी। मुझे थोडी बहुत ही अपनी पसंद की कामिक्से मिली। लेकिन उस दुकानदार ने मुझे बताया कि उसके पास घर पर अभी और भी कामिक्से रखी हुई है। मैंने उसका पता और फोन नम्बर ले लिया और शनिवार को उसके घर गाजियाबाद जा पहुंचा। वहां से मैंने अपनी जिंदगी की अब तक की सबसे ज्यादा कामिक्से एक साथ खरीदी। और वो भी आधे दामों मे। उसके पास ज्यादातर राज कामिक्से ही थी। लेकिन उससे मुझे महारावण सीरिज की काफी सारी कामिक्से एक साथ मिल गई। और इसके साथ ही मुझे कनकपुरी की राजकुमारी भी मिली। साथ ही और भी बहुत सारी नई-पुरानी कामिक्से मिली। वो दिन एक यादगार दिन रहा मेरी जिंदगी का। पहली बार दिल्ली से बाहर जाकर कामिक्से खरीदना वाकई मेरे लिए एक बेहद खास अनुभव रहा। फिर आगे भी उस दुकानदार से बाजार मे ही कामिक्से लेते रहे जब तक कि उसके पास कामिक्से खत्म ना हो गई हो। इसके बाद शायद अगस्त-सितम्बर के बाद एक बार फिर से बहुत सारी कामिक्से बाजार आई। शुरु मे तो वो कामिक्सें हमे जायद दामों (5-10 रुपए) मे मिल गई। लेकिन जब अगले सप्ताह हम उन्ही दुकानदारों पर दुबारा पहुंचे तो सबने कीमत बढा कर बताई कुछ तो प्रिंट पर ही दे रहे थे। हमारे लिए ये पहला ऐसा मौका था जब हम कामिक्से महंगे दामों पर मिल रही थी। हम पुरानी कामिक्से हमेशा 5-10 रुपए मे ही लेते आए थे। अत:एव हमने वो कामिक्से नही खरीदी और उन्हे छोड दिया। बाद मे कामिक्सों के विक्रेताओं ने वो कामिक्से खरीदी। इसके बाद 2011 मे कुछ खास नही हुआ।
2012 मे तो याद भी नही कि कुछ खास हुआ था या नही। सिर्फ कामिक कान याद है। इसके अलावा महफूज भाई से मुलाकात हुई और उन्हे कोबी और भेडिया कामिक दी। साथ ही ध्रुव के कुछ विशेषांक भी महफूज को दिए थे। बदले मे महफूज ने भी मुझे कामिक्से दी। अब संडे मार्किट जाने का भी मन नही करता था। आकाश ने अब मार्किट आना बहुत कम कर दिया था। और मैं ही अकेला आता था। ऐसे ही एक बार 15-20 रुपए मे इंद्रजाल कामिक्से मिल गई थी। तकरीबन 25-35 कामिक्से थी और ज्यादातर अंग्रेजी मे ही थी। एक बार 40 के करीब टिंकल भी मिली थी। पुरानी टिंकल हिंदी और अंग्रेजी मे। 5 रुपए प्रति कामिक। कामिक्से अब कम मिल रही थी लेकिन उनकी कीमते फिर भी काफी नियंत्रण मे थी।
साल 2013 के शुरुआत मे ही मैंने ये मन बना लिया था कि अब ये आखिरी साल है कामिक्से कलैक्ट करने का। शुरुआत ठीक-ठाक रही। अप्रैल मे महफूज भाई का निमंत्रण मिला कि उनके शहर सहारनपुर मे काफी कामिक्से है मेरे लायक। वहां जाकर तकरीबन 1000 रु की कामिक्से खरीदी। सब प्रिंट रेट पर ली। बहुत ही बेहतरीन अनुभव रहा दूसरे शहर मे जाकर कामिक्से खरीदने का। बाद मे इसी महीने सागर राणा जी से भी मुलाकात हुई। वो दिल्ली आए हुए थे। उन्होंने मुझे जम्बू की पहली कामिक सुपर कम्पयूटर का बाप दी। महफूज भी उसी दिन दिल्ली आया और उसने भी उनसे मुलाकात करी। मैंने महफूज को कोहराम कामिक दी और बदले मे उसने मुझे बुद्धिपासा दी। वो दिन भी बहुत खास रहा। आकाश भी उस दिन सागर राणा जी से मिलने बाजार आ गया था। अप्रैल के बाद जुलाई मे मुझे गाजियाबाद वाले बंदे से बहुत सारी तुलसी कामिक्से मिली। सब आधे दाम मे। 250 रुपए मे 59 कामिक्से। जुलाई मे ही मेरी मुलाकात फारम मैम्बर स्पार्की रवि से हुई। उसी दिन मैं अयाज अहमद से भी मिला। फिर उसके अगले ही महीने मे मुझे बहुत सारी मनोज कामिक्से मिली। ज्यादातर विशेषांक ही थे। राम-रहीम, हवलदार बहादुर, क्रुकबांड, कांगा और दूसरे मनोज कामिक्स के किरदारों की तकरीबन 90 के करीब कामिक्से मैंने खरीदी। लेकिन ये खरीदारी अब तक की सबसे महंगी खरीदारी साबित हुई। क्योंकि मैंने हर कामिक के दुगने दाम दिए। यानि कि इस बार और पहली बार मैंने प्रिंट रेट से भी ज्यादा कीमत अदा करी। 10-20 रूपए। और जब मैंने ये फेसबुक पर पोस्ट किया तो एक दोस्त (मोहित शर्मा) को बहुत हैरानी हुई कि पुरानी कामिक्से इतनी महंगी कैसे हो गई? खैर वो कामिक्से खरीदकर मैं आकाश के पास गया और उसने उन मे कुछ कामिक्से ले ली। उस दुकानदार के पास अभी और भी बहुत कामिक्से बच गई थी। तो अगले सप्ताह मैं, आकाश और मोहनीश फिर वहां पहुंचे और आकाश और मोहनीश को अपनी पसंद की कामिक्से मिल गई। मोहनीश उस दिन बहुत खुश था क्योंकि उसकी महारावण सीरिज पूरी हो गई थी। इसके अगले रविवार भी हमने वहां से कुछ कामिक्से और खरीदी।
इसके बाद संडे मार्किट से कुछ नही मिला। फिर नवम्बर-दिसम्बर मे राज कामिक्से ने कामिक फेस्ट इंडिया का आयोजन किया। इस इवेंट मे राज कामिक्स ने पुरानी कामिक्सों का स्टाल लगा रहा था जहां पर 30 रुपए प्रति कामिक की दर से कामिक बेची जा रही थी। मैं ज्यादा कामिक्से नही खरीद सका और जो खरीदी भी उन मे से ज्यादातर उसी दाम पर बाद मे बेच भी दी। कामिक फेस्ट के बाद ही दोस्त की शादी मे नागपुर जाना पडा और वहां से भी थोडी बहुत कामिक्से खरीदी। अब साल का आखिरी महीना चल रहा था और आखिरी महीने के आखिरी रविवार मैं पूरा दिन वही मार्किट मे ही घूमता रहा। जैसे उस जगह से जुडी हुई सारी पुरानी यादों को इकट्ठा कर रहा था।
साल 2014 मे मैं दरियागंज काफी कम गया। अगर गया भी तो कामिक्स खरीदने के इरादे से नही और ज्यादातर शाम के वक्त ही गया। साल 2008 से 2013 तक मैंने काफी कामिक्से खरीदी और अब तो ऐसा लगता है कि हमने काफी अच्छे समय मे कामिक्सों का सग्रंह बनाया। आज के दौर मे तो मेरे लिए ये बिल्कुल ही नामुमकिन होता। फिलहाल मेरे संग्रह मे 2400 से ज्यादा कामिक्से है। हिंदी, अंग्रेजी, नई, पुरानी, ओरिजिनल, रिप्रिंट्स सब तरह की मिलाकर। सबसे ज्यादा कामिक्से राज कामिक्स की ही है। इसके अलावा स्टीकर्स, ट्रेडिंग कार्डस, पोस्टर और दूसरे तरह की कामिक्सों से जुडी हुई चीजो का भी अच्छा खासा क्लैक्शन है। काफी खुशी होती है अपना कामिक संग्रह देखकर। उसकी दो खास वजह है। पहली तो ये कि मैंने अपना कामिक क्लैक्शन बहुत ही मेहनत, ईमानदारी और किफायती कीमत पर बनाया है। इसमे जिन दोस्तो ने मदद करी उनका नाम मैं इस लेख मे लिख चुका हूँ। कोई रह गया है तो उसके लिए माफी चाहूँगा। कामिक संग्रह करते समय कभी भी कालाबाजारी को बढावा नही दिया। कभी ऊंचे दाम पर कामिक्से नही खरीदी। दूसरी वजह यह है कि मैं बचपन से ये चाहता था कि मेरे आस-पास ढेर सारी कामिक्से हो। अब जब अपनी अलमारी या अपन दिवान खोलकर देखता हूं तो पाता हूं कि जितना मैंने बचपन मैं सोचा था अब उससे कही गुना ज्यादा कामिक्से मेरे पास है। ये एक सपने को जीने के जैसा ही है।
मेरे कामिक संग्रह की एक और विशेषता ये भी है कि मेरे पास सबसे ज्यादा कामिक्से राज कामिक्स ही है लेकिन मेरे पास उनके किसी भी बडे किरदार की सारी कामिक्से नही है। यहां तक कि मेरे प्रिय पात्र सुपर कमांडो ध्रुव की भी मेरे पास सारी कामिक्से नही है। जबकि मनोज के 3-4 किरदारों की सारी कामिक्से मेरे पास है। 
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2008 से शुरु हुई मेरी कामिक की इस जुनूनी यात्रा के दौरान मुझे भारतीय कामिक जगत और कामिक क्लचर के बारे मे बहुत सी बाते जानने को मिली। बहुत से चित्रकारों और लेखकों से भेट हुई। काफी सारे कार्यक्रमों का हिस्सा बना। खासतौर से नागराज जन्मोत्सव और बुक फेयर। जहां तक मुझे याद है 2009 के बाद से ये पहला अवसर था जब इस साल मे अगस्त-सितम्बर बुक फेयर नही गया। काफी दोस्त बने और सब के साथ बहुत ही अदभुत अनुभव सांझा किए।
तो ये थी मेरे कामिक संग्रह की कहानी। कैसे शुरु हुआ, कहां से शुरुआत हुई, कैसे प्रगतिशील हुआ और कैसे अंत हुआ। कामिक क्लैक्ट करने का सफर तो साल 2013 मे खत्म हो गया। लेकिन कामिक पढने का शौक अभी भी जारी है। अब कामिक्सों पर ज्यादा चर्चा नही कर पाता लेकिन राज कामिक्स के नए सैट और नए प्रकाशकों की कामिक्से खरीदना और पढना अभी भी जारी है। और उम्मीद करता हूं कि जैसे पिछले 21 सालों से कामिक्से पढता आया हूँ वैसे ही आगे भी पढता रहूंगा।
जुनून।