Thursday, December 17, 2020

"संचार में चित्र नायक की तरह!" - कार्टूनिस्ट नीरद

 संचार में चित्र नायक की तरह!

बात पहले की है। एक बार बिहार सरकार के एक विभाग से मेरे इलस्ट्रेशन कार्यों के लिए बुलावा आया। यह कोई नई बात नहीं थी। मैं हमेशा की तरह एक पेशेवर की तरह पहुंचा।

एक मैन्युअल बनना था, जिसमें मेरे चित्रों की अहम भूमिका बताकर मेरी सेवा ली जानी थी। हरेक पेज में कितने चित्र होंगे, कुल कितने चित्र होंगे, क्या बनेगा, चित्र बनने की चरणबद्ध प्रक्रिया पर बात हुई...वगैरह-वगैरह!

फिर बात आई, पेमेंट की। मैने अपने चित्रों के लिए  न्यूनतम/स्टैण्डर्ड रेट बताया। रेट सुनकर लोगों में हाहाकार मच गया-"इतनाssssss!!??"

दरअसल वह अपेक्षा कर रहे थे कि एक पेज में अलग-अलग विषयों के 6 या 7 चित्र भी उपयोग में आने हैं, तो रेट एक ही इलस्ट्रेशन का देना होगा। मैंने कभी सब्जी की दुकान नहीं खोली थी कि मुझे इस तरह पेमेंट की बारगेनिंग पसंद हो। और इस मामले में मैं बहुत सख्त भी हूँ।

सबने कहा, ठीक है, सर से ही मिल लीजिए। प्रधान सचिव को बताया गया, कि नीरद कार्टूनिस्ट आये हैं। उन्होंने फौरन बुला लिया। बहुत खुशनुमा माहौल था। प्रिंसिपल सेक्रेटरी मुझे पहले से जानते थे। उन्हें मालूम था कि मुझे साइंस कम्युनिकेशन के लिए नेशनल अवार्ड मिल चुका है।

उन्होंने मीटिंग का कारण पूछा तो अन्य अधिकारियों ने बड़ी तत्परता से उन्हें बताया कि सर, ये 'इतना' मांग रहे हैं।

प्रधान सचिव तल्ख लहजे में बोले-"परिश्रम ये करेंगे और पारिश्रमिक आप तय करेंगे?? अरे इनके चित्र तो इस मैन्युअल में नायक की तरह होते हैं।  please process his work order."

प्रधान सचिव ने उठकर हाथ मिलाया, हमने एक-दूसरे का शुक्रिया किया और हमलोग बाहर आ गए।

===========