शिवांश भटनागर के विचार - "सच में। क्या दिन थे वो भी जब ऐसे हरे पीले नीले पार्सल भारतीय डाक से घर पर आया करते थे। एक अलग ही फीलिंग थी, राजकॉमिक्स साइट से मनपसंद कॉमिक्स की छटनी करना, उन्हें ऑर्डर करना फिर पलकें बिछा कर उनका इंतजार करना। मैं हर सेट राजकॉमिक्स साइट से ही ऑर्डर करता था, क्योंकि तब कोई दूसरा ऑनलाइन सेलर भी नही था। मैने अपने आप से पहले बार अगर ऑनलाइन पेमेंट करके कुछ मंगाया तो वो कॉमिक्स ही थी। 2009 में पहली बार ऑर्डर किया जिसमें अमेजिंग फ्रेंड्स ऑफ नागराज की कॉमिक्स थी योद्धा के स्वर्ग पात्र सीरीज के साथ जो की मैने चाचा के क्रेडिट कार्ड से मंगाई थी। उसके बाद कई सालो तक मनी ऑर्डर से कॉमिक्स मंगाई, ये भी एक अलग ही कारनामा था, पोस्ट ऑफिस जाके मनी ऑर्डर करना और फिर उसकी रसीद राजकॉमिक्स को भेजना जिसके बाद वो ऑर्डर स्टेटस कंफर्म कर देते थे। 2013 तक ऐसे किया और उसके बाद बैंक अकाउंट खुलवा कर खुदका कार्ड लिया और तबसे ऑनलाइन पेमेंट करना शुरू किया। ये सिलसिला 2019 तक चला बालचरित की लास्ट कॉमिक एंड गेम के प्री ऑर्डर तक। उसके बाद ये साइट हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गई पर वो यादें, ऑर्डर शिप होने के बाद डाकिए की राह देखने की, जीवन भर के लिए रह गईं हैं।"
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