शहर को जंगलिस्तान बनाने वहां पहुंचा मदमस्त भेड़िया, भारत का राष्ट्रीय ध्वज फेंकता है और जंगलिस्तान का झंडा लहराने को है। ये देख तिरंगा भारतीय झंडे की शान में किले से ही उसे पकड़ने को छलांग लगा देता है। इससे पहले शायद पाठक की तरह तिरंगा को खुद पता था कि भेड़िया से सीधी टक्कर में देर-सबेर हार ही है, लेकिन गिरते राष्ट्रीय ध्वज को हाथ में लेकर तिरंगा के मन में आया...बस बे भेड़िया तेरी ऐसी-तैसी।
किसी को यूं बताओ, तो पता नहीं उसे कुछ खास लगे भी या नहीं...पर शरीर में उस वक़्त ऐसा एड्रेनालाइन का शॉट लगा कि जैसे मैं कहीं पास छिपकर ये महायुद्ध देख रहा हूं। अब तो शायद एड्रेनालाइन बनता ही नहीं शरीर में...