Friday, May 22, 2015

ICF Annual Poll 2015


                                                             Indian Comics Fandom
Annual Poll - Best Budding Comics Publication (2015)
It’s the time of the year to find the Best Budding Comics Publisher We have been running this annual poll since 2012 and it is the 4th anniversary of the poll. Holy Cow Entertainment won the poll on all three previous occasions becoming ICF Triple-Cube Champion. Who will win the poll in 2015? ‪#‎icf‬ ‪#‎indian_comics‬
*Inactive publications which featured during 2012-2014 polls, indie publishers with very little following or publishers which mainly publish reprints (ACK Media etc) are not included in the poll list this year.

Thursday, May 14, 2015

ICF FB Updates

*) - "Tina's Mouth" - An Existential Comic Diary, which follows 15-year-old Indian American Tina Malhotra as she weathers an especially fraught semester at her elite Southern California prep school.


*) - Graphic Novels by Sarnath Banerjee


*) - "Bhimayana: Experiences of Untouchability" from Navayana Publishing, in New Delhi. Writer S. Anand and traditional Pardhan-Gond artists Durgabi Vyam and Subhash Vyam craft a graphic biography of Dr. B.R. Ambedkar (1891-1956) ‪#‎graphic_novels‬ ‪#‎freelance_talents‬ ‪#‎indian_comics‬‪#‎ambedkar‬

Tuesday, May 5, 2015

सदाबहार परशुराम शर्मा जी से मेरी मुलाक़ात....


जीवन में कई बार छोटी-छोटी बातें आपको चौकाने का दम रखती है, बशर्ते आपकी आदत या किस्मत ऐसी बातों को देख सकने कि हो। भाग्य से कुछ सामान खरीदने बाजार गया और बाइक स्टैंड पर लगाते समय क्रिएटिव कोर्सेज का एक पोस्टर दिखा जिसपर एक नाम को पढ़कर लगा कि यह तो कहीं अच्छी तरह सुना लग रहा है पर उस समय भाग-दौड़ में याद नहीं आ रहा था कि कहाँ। पोस्टर पर एक संजीदा बुज़ुर्ग गिटार पकडे  खड़े थे। खैर, सामान खरीदते समय याद आया की पोस्टर पर लिखा नाम परशुराम शर्मा तो बीते ज़माने के प्रख्यात उपन्यास एवम कॉमिक्स लेखक का भी था। साथ में यह भी याद था कि परशुराम जी का पता मेरठ का बताया जाता था। इतना काफी था इस निष्कर्ष पर आने के लिए कि सामने लेखक-विचारक परशुराम शर्मा जी का ही ऑफिस है। पहले तो मैंने भगवान जी को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बाइक जिस एंगल पर स्टैंड करवाई वहां से मुंडी टिल्ट करके थैला उठाने में मुझे सर का पोस्टर दिख गया। थोड़ी झिझक थी पर मैंने सोचा कि अब इतनी पास खड़ा हूँ तो बिना मिले तो नहीं जाऊँगा। उनसे बड़ी सुखद और यादगार भेंट हुई और काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा, इस बीच उन्होंने अपने सुन्दर 2 गीत मुझे सुनाये और बातों-बातों में मेरे कुछ आइडियाज पर चर्चा की।


270 से अधिक नोवेल्स और कई कॉमिक्स प्रकाशनों के लिए सौइयों कॉमिक्स लिख चुके 68 वर्षीय परशुराम जी अब मेरठ में अपना क्रिएटिव इंस्टिट्यूट चलाने के साथ-साथ स्थानीय म्यूजिक एलबम्स,  वीडिओज़ बनाते है। बहुमुखी प्रतिभा के धनि परशु जी लेखन के अलावा गायन, निर्देशन, अभिनय में भी हाथ आज़मा चुके है और अब तक उनकी लगन किसी किशोर जैसी है। यह उनके साथ हुयी भेंट, कुछ बातें उनके आग्रह पर हटा ली गयी है। 


*) - दशको तक इतना कुछ लिखने के बाद आपके बारे में पाठक बहुत कम जानते है, ऐसा क्यों?
परशुराम शर्मा - बस मुफलिसी का जीवन पसंद है जहाँ मैं अपनी कलाओं में लीन रहूँ। वैसे उस वक़्त अचानक सब छोड़ने का प्लान नहीं था वो हिंदी नोवेल्स, कॉमिक्स का बुरा दौर था इसलिए अपना ध्यान दूसरी बातों पर केंद्रित किया। 

*) - अब आप क्या कर रहे है?
परशुराम शर्मा - अब भी कला में लीन हूँ। बच्चो को संगीत और वाद्य सिखाता हूँ, डिवोशनल, रीजनल एलबम्स-वीडिओज़ बनाता हूँ। कभी कबार स्थानीय फिल्मो में अभिनय करता हूँ। 68 साल का हूँ पर इन कलाओं  सानिध्य में हमेशा जवान  रहूँगा। 

*) - क्या नोवेल्स-कॉमिक्स के ऑफर अब तक आते है आपके पास?
परशुराम शर्मा - कुछ प्रकाशक अब भी मुझसे हिंदी नावेल सीरीज लिखने की बात करते है पर अब इस फील्ड में पैसा बहुत कम हो गया है। युवाकाल जैसी तेज़ी नहीं जो वॉल्यूम बनाकर  मेहनताने भरपाई कर सकूँ। इतना दिमाग लगाने के बाद अगर  पारिश्रमिक ना मिले तो निराशा होती है। अखबार वाले मुझे लेखो के 200-300 रुपये  चैक देते थे और पूछने पर बताते कि लोग तो फ्री में लिखने को तैयार है, हम तो फिर भी आपको कुछ दे रहे है। 

*) - अब किन पुराने साथियों के संपर्क में है?
परशुराम शर्मा - कभी कबार कुछ मित्रों से बातचीत हो जाती है। यहाँ स्थानीय कार्यक्रमों में वेदप्रकाश शर्मा जी, अनिल मोहन आदि उपन्यासकारों से भी मिलना हो जाता है। 

Parshuram ji in T Series Video

*) - क्या अंतर है पहले और अब कि ज़िन्दगी में?
परशुराम शर्मा - पहले जीवन की गति इतनी तीव्र थी कि ठहर कर कुछ सोचना या अवलोकन कर पाना कठिन था। आजकल कुछ आराम है तो वह भागदौड़ में रचनात्मकता किसी सुखद फिल्म सी आँखों के सामने चलती है। 

*) - आपके लिए कुछ सबसे यादगार पल बांटे। 
परशुराम शर्मा - ऐसे बहुत से लम्हे आये जब मुझे विश्वास ही नहीं हुआ अपने भाग्य पर। जो अब याद है उनमे जैकी श्रॉफ का मेरे साथ फोटो खिंचवाने के लिए लाइन में लगना , अमिताभ बच्चन जी का मुझसे मिलने पर यह बताना कि मेरे लेटेस्ट उपन्यास की 5 कॉपीज़ उनके पास रखी है, प्रकाशकों का मेरी कई कृतियों के लिए लड़ना आदि। 

*) - इंटरनेट के आने से क्या बदलाव महसूस किये आपने?
परशुराम शर्मा - ज़्यादा तो मैंने सीखा नहीं पर कुछ वर्ष पहले जिज्ञासावश अपना नाम सर्च किया तो बहुत कम काम था मेरा वहां। मैं कुछ प्रशंषको का धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने जाने कहाँ-कहाँ से खोजकर मेरी कई कॉमिक्स और उपन्यासों की लिस्टस, चित्र आदि इंटरनेट पर अपलोड किये। सच कहूँ तो अब उनमे से काफी काम तो मैं भूल चुका हूँ  कि वो मैंने ही लिखे थे।  

*) - आपके ऑफिस के बाहर कुछ पोस्टर्स और भी लगे है उनके बारे में बताएं? 
परशुराम शर्मा - एक पोस्टर कुछ समय पहले आई फिल्म "देसी डॉन" का है, कुछ एलबम्स साईं बाबा पर रिलीज़ हुयी पिछले 3 वर्षों में। 

*) - लेखन, संगीत, अभिनय, निर्देशन आदि विभिन्न कलाओं में ऐसी निरंतरता, दक्षता कैसे लाते है आप?
परशुराम शर्मा - इसका उत्त्तर मेरे पास भी नहीं है, शायद इन कलाओं के प्रति मेरा दीवानापन मुझे रचनात्मक कार्य करते रहने को प्रेरित करता है। 

*) - भविष्य कि योजनाओं और प्रोजेक्ट्स से अवगत करायें। 
परशुराम शर्मा - कुछ होनहार बच्चो को संगीत में लगातार शिक्षा दे रहा हूँ, उनमे एक ख़ास हीरा तराशा है जिसका नाम है अंश। उसके साथ साईं बाबा पर डिवोशनल एल्बम अक्टूबर 2014 में लांच की, अब वह कुछ टैलेंट शोज़ के ऑडिशंस दे रहा है। बहुत जल्द आप उसे टीवी पर देखेंगे। नयी पीढ़ी के प्रति  दायित्व निभाने के साथ - साथ जीवन में सोचे ख़ास, चुनिंदा आइडियाज को किस तरह अलग-अलग माध्यमो में  मूर्त रूप दूँ यह सोच रहा हूँ। 

Master Ansh

*) - कॉमिक्स पाठको को क्या संदेश देना चाहेंगे? क्या हम आपका नाम दोबारा कॉमिक्स में देखने की उम्मीद कर सकते है। 
परशुराम शर्मा - मैं उनका आभार प्रकट करूँगा जिन्होंने इस मरती हुयी इंडस्ट्री में जान फूँकी। काल बदलते है, इसलिए चाहे बदले प्रारूपों में ही सही कॉमिक्स का सुनहरा समय फिर से आयेगा। जी हाँ! आगे दोबारा मैं कॉमिक्स लिख सकता हूँ अगर परिस्थिति सही बनी तो। 

इस तरह उनका धन्यवाद करता हुआ, आशीर्वाद लेकर फूल के कुप्पा हुआ मैं उनके ऑफिस से बाहर निकला। जल्द ही उनकी अनुमति लेकर जो गीत उन्होंने मुझे सुनाये थे वो अपलोड करूँगा। 

- मोहित शर्मा (ज़हन) 
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